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श्रीकृष्ण कीलक स्तोत्र

श्रीकृष्ण कीलक स्तोत्र भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और गीता के दिव्य फलों के मार्ग में आने वाले बंधनों को खोलने वाला माना जाता है। इसका पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण की भक्ति एवं कृपा प्राप्त होती है ।

श्रीकृष्ण कीलक स्तोत्र

श्रीकृष्णं कीलकं वन्दे सर्वपापप्रणाशनम्।
ज्ञानविज्ञानसंपन्नं भक्तानामभयं करम्॥ 1 ॥

यस्य स्मरणमात्रेण मनो नित्यं प्रशान्तये।
तस्य नाम्नः कीलकं चैव भक्तेभ्यो विनिवर्त्यते॥ 2 ॥

यो गीता पाठकः भक्त्या तं कीलकं न बाधते।
कृष्णकृपां लभेत् शीघ्रं संसारसागरात् परम्॥ 3 ॥

कीलकं ह्येतदाख्यानं पापघ्नं पुण्यवर्धनम्।
श्रद्धया पठते नित्यं स याति परमां गतिम्॥ 4 ॥

॥ इति श्रीकृष्ण कीलक स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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