माता गायत्री के 108 नाम
माँ गायत्री के 108 नाम (अष्टोत्तर शतनामावली) इस प्रकार हैं:
- ॐ गायत्र्यै नमः – ज्ञान और चेतना की देवी
- ॐ जगन्मात्रे नमः – ब्रह्मांड की जननी
- ॐ परब्रह्मस्वरूपिण्यै नमः – जो निराकार परब्रह्म का स्वरूप हैं
- ॐ परमार्थप्रदायै नमः – जो परम अर्थ (मोक्ष) प्रदान करती हैं
- ॐ जप्यायै नमः – जिनका जप किया जाता है
- ॐ ब्रह्मतेजोविवर्धिन्यै नमः – जो ब्रह्मा के तेज को बढ़ाती हैं
- ॐ ब्रह्मास्त्ररूपिण्यै नमः – जो ब्रह्मास्त्र का रूप हैं
- ॐ भव्यायै नमः – जो भव्य और शुभ हैं
- ॐ त्रिकालध्येयरूपिण्यै नमः – जो तीनों कालों में ध्यान करने योग्य हैं
- ॐ त्रिमूर्तिरूपायै नमः – जो त्रिदेवों का रूप हैं
- ॐ सर्वज्ञायै नमः – जो सब कुछ जानती हैं
- ॐ वेदमात्रे नमः – जो वेदों की माता हैं
- ॐ मनोन्मय्यै नमः – जो मन में समाई हुई हैं
- ॐ पालिकायै नमः – जो रक्षा करने वाली हैं
- ॐ तारुण्यै नमः – जो सदैव युवा रहती हैं
- ॐ वृद्ध्यै नमः – जो वृद्ध और ज्ञानवान हैं
- ॐ सूर्यमण्डलवासिन्यै नमः – जो सूर्यमंडल में निवास करती हैं
- ॐ मन्देहतनवध्वंसकारिण्यै नमः – जो मन्देह नामक राक्षसों को नष्ट करती हैं
- ॐ सर्वकारणायै नमः – जो सभी कारणों का कारण हैं
- ॐ हंसरूढायै नमः – जो हंस पर विराजमान हैं
- ॐ गरुडारूढायै नमः – जो गरुड़ पर विराजमान हैं
- ॐ सुफलायै नमः – जो शुभ फल देने वाली हैं
- ॐ सुखदायिन्यै नमः – जो सुख प्रदान करती हैं
- ॐ सुभ्रुवे नमः – जिनके सुंदर भौं हैं
- ॐ सुवासायै नमः – जो सुंदर वस्त्र पहनती हैं
- ॐ सुश्रोण्यै नमः – जिनकी कमर सुंदर है
- ॐ संसारार्णवतारिण्यै नमः – जो भवसागर से पार उतारती हैं
- ॐ सामगानप्रियायै नमः – जिन्हें सामवेद का गान प्रिय है
- ॐ साध्व्यै नमः – जो साध्वी हैं
- ॐ सर्वाभरणपूजितायै नमः – जो सभी आभूषणों से सुशोभित हैं
- ॐ वैष्णव्यै नमः – जो विष्णु शक्ति हैं
- ॐ विमलाकारायै नमः – जिनका रूप निर्मल है
- ॐ महेन्द्र्यै नमः – जो इंद्र की शक्ति हैं
- ॐ मन्त्ररूपिण्यै नमः – जो मंत्र का स्वरूप हैं
- ॐ महालक्ष्म्यै नमः – जो महालक्ष्मी का रूप हैं
- ॐ महासिद्ध्यै नमः – जो महान सिद्धियां देने वाली हैं
- ॐ महामायायै नमः – जो महामाया हैं
- ॐ महेश्वर्यै नमः – जो महेश्वर की शक्ति हैं
- ॐ मोहिन्यै नमः – जो सबका मन मोह लेती हैं
- ॐ मधुसूदनचोदितायै नमः – जिन्हें मधुसूदन ने प्रेरित किया
- ॐ मीनाक्ष्यै नमः – जिनकी आँखें मछली जैसी हैं
- ॐ मधुरावासायै नमः – जो मधुर निवास करती हैं
- ॐ नागेन्द्रतनयायै नमः – जो नागों के राजा की पुत्री हैं
- ॐ उमायै नमः – जो उमा का रूप हैं
- ॐ त्रिविक्रमपदाक्रान्तायै नमः – जो त्रिविक्रम के चरणों से व्याप्त हैं
- ॐ त्रिसर्ग्यायै नमः – जो तीन सर्गों (सृष्टि) में व्याप्त हैं
- ॐ त्रिलोचनायै नमः – जिनकी तीन आँखें हैं
- ॐ सूर्यमण्डलमध्यस्थायै नमः – जो सूर्यमण्डल के मध्य में स्थित हैं
- ॐ चन्द्रमण्डलसंस्थितायै नमः – जो चन्द्रमण्डल में स्थित हैं
- ॐ वह्निमण्डलमध्यस्थायै नमः – जो अग्नि के मध्य में स्थित हैं
- ॐ वायुमण्डलसंस्थितायै नमः – जो वायुमंडल में स्थित हैं
- ॐ व्योममण्डलमध्यस्थायै नमः – जो आकाशमंडल के मध्य में स्थित हैं
- ॐ चक्रिण्यै नमः – जो चक्र धारण करती हैं
- ॐ चक्ररूपिण्यै नमः – जो चक्र का स्वरूप हैं
- ॐ कालचक्रवितानस्थायै नमः – जो कालचक्र में स्थित हैं
- ॐ चन्द्रमण्डलदर्पणायै नमः – जो चंद्रमा को दर्पण की तरह धारण करती हैं
- ॐ ज्योत्स्नातपानुलिप्ताङ्ग्यै नमः – जिनका शरीर चाँदनी से लिप्त है
- ॐ महामारुतवीजितायै नमः – जो तेज वायु से व्याप्त हैं
- ॐ सर्वमन्त्राश्रयायै नमः – जो सभी मंत्रों का आश्रय हैं
- ॐ धेनवे नमः – जो गाय का स्वरूप हैं
- ॐ पापघ्न्यै नमः – जो पापों को नष्ट करती हैं
- ॐ परमेश्वर्यै नमः – जो परमेश्वरी हैं
- ॐ वेदमातायै नमः – जो वेदों की माता हैं
- ॐ प्रणवप्रतिपाद्यार्थायै नमः – जो प्रणव (ॐ) के अर्थ को प्रकट करती हैं
- ॐ प्रणतोद्धरणक्षमायै नमः – जो शरणागतों का उद्धार करती हैं
- ॐ जलाञ्जलिंसुसन्तुष्टायै नमः – जो जलांजलि से प्रसन्न होती हैं
- ॐ जलगर्भायै नमः – जो जल में निवास करती हैं
- ॐ जलप्रियायै नमः – जिन्हें जल प्रिय है
- ॐ स्वाहायै नमः – जो स्वाहा का रूप हैं
- ॐ स्वधायै नमः – जो स्वधा का रूप हैं
- ॐ सुधासंस्थायै नमः – जो अमृत का रूप हैं
- ॐ श्रौषट्वौषट्वषट्क्रियायै नमः – जो वेदिक क्रियाओं का रूप हैं
- ॐ सुरभ्यै नमः – जो सुगंधित हैं
- ॐ षोडशकलायै नमः – जो सोलह कलाओं से युक्त हैं
- ॐ मुनिबृन्दनिषेवितायै नमः – जिनकी मुनिगण सेवा करते हैं
- ॐ यज्ञप्रियायै नमः – जिन्हें यज्ञ प्रिय है
- ॐ यज्ञमूर्त्यै नमः – जो यज्ञ का स्वरूप हैं
- ॐ स्रुक्स्रुवाज्यस्वरूपिण्यै नमः – जो यज्ञ के उपकरणों का स्वरूप हैं
- ॐ अक्षमालाधरायै नमः – जो अक्षमाला धारण करती हैं
- ॐ अक्षमालासंस्थायै नमः – जो अक्षमाला में स्थित हैं
- ॐ अक्षराकृत्यै नमः – जो अक्षर (वर्णमाला) का स्वरूप हैं
- ॐ मधुछन्दसे नमः – जो मधुर छंद हैं
- ॐ ऋषिप्रीतायै नमः – जो ऋषियों को प्रिय हैं
- ॐ स्वच्छन्दायै नमः – जो स्वतंत्र हैं
- ॐ छन्दसांनिधये नमः – जो छंदों का खजाना हैं
- ॐ अङ्गुलीपर्वसंस्थानायै नमः – जो अंगुलियों में स्थित हैं
- ॐ चतुर्विंशतिमुद्रिकायै नमः – जो चौबीस मुद्राओं से युक्त हैं
- ॐ ब्रह्ममूर्त्यै नमः – जो ब्रह्मा का स्वरूप हैं
- ॐ रुद्रशिखायै नमः – जो रुद्र की शिखा हैं
- ॐ सहस्रपरमाम्बिकायै नमः – जो हजार देवियों में श्रेष्ठ हैं
- ॐ विष्णुहृदयायै नमः – जो विष्णु के हृदय में स्थित हैं
- ॐ अग्निमुख्यै नमः – जिनका मुख अग्नि है
- ॐ शतमध्यायै नमः – जो सौ अध्यायों का स्वरूप हैं
- ॐ दशावरणायै नमः – जो दस आवरणों से युक्त हैं
- ॐ सहस्रदलपद्मस्थायै नमः – जो हजार पंखुड़ियों वाले कमल में स्थित हैं
- ॐ हंसरूपायै नमः – जो हंस का रूप हैं
- ॐ निरञ्जनायै नमः – जो निष्कलंक हैं
- ॐ चराचरस्थायै नमः – जो चर और अचर में स्थित हैं
- ॐ चतुरायै नमः – जो चतुर और बुद्धिमान हैं
- ॐ सूर्यकोटिसमप्रभायै नमः – जिनकी आभा करोड़ों सूर्यों के समान है
- ॐ पञ्चवर्णमुख्यै नमः – जो पाँच वर्णों की प्रमुख हैं
- ॐ धात्र्यै नमः – जो धारण करने वाली हैं
- ॐ चन्द्रकोटिशुचिस्मितायै नमः – जिनकी मुस्कान करोड़ों चंद्रमाओं जैसी निर्मल है
- ॐ महामायायै नमः – जो महामाया हैं
- ॐ विचित्राङ्ग्यै नमः – जिनके अंग विचित्र हैं
- ॐ मायाबीजनिवासिन्यै नमः – जो माया के बीज में निवास करती हैं
- ॐ सर्वयन्त्रात्मिकायै नमः – जो सभी यंत्रों की आत्मा हैं
- ॐ सर्वतन्त्ररूपायै नमः – जो सभी तंत्रों का रूप हैं
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